आवारा बादल

आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....

गुरुवार, 15 मई 2025

गमले का पौधा

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  गमले में लगा  पौधा बन गया हूं ना तो मेरी जड़ें  ज़मीन को छू पाती हैं  ना ही मैं आसमान को चूम पाता हूँ , चाहता हूं  कि कोई मुझे गमले से निक...
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रविवार, 19 दिसंबर 2021

बड़े पेट वाले जादूगर

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सपने वो भी देखते हैं  जिनकी हथेलियाँ खुरदरी हैं और पीठ पर जिनके छाले हैं, उनके माथे से बहता पसीना पलकों से हो कर ज़मीन पर टपकता है, व...

आवारा बादल

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आवारा बादल हूँ कभी यहॉं तो कभी वहाँ भटकना तो फितरत है मेरी, बस इक छोटी सी चाहत है बंज़र भूमि पर बरसने की।
गुरुवार, 16 दिसंबर 2021

जिनकी झुकी हुई है रीढ़

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  वो बहाते हैं पसीना तुम्हारे लिए, धूप से पका हुआ उनकी देह का रंग हाथो के छाले सब तुम्हारे लिए, वो झुकी हुई रीढ़ चेहरे की सलवटें वो ज...
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रविवार, 12 दिसंबर 2021

हथौड़ा और छेनी

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हथौड़ा चला, चलता रहा छेनी भी मचलती रही चोट पर चोट माथे से टपकता पसीना, पर वो हाथ रुकते नहीं वो हाथ थकते नहीं जिन्होने थामी है हथौड़ा और छे...
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गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

आज फिर से

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आज फिर से भूख पसरी होगी कुछ आशियानों में और कहीं पकवान बनेंगे, आज फिर से कोई मरेगा भूख से और किसी को बदहजमी की शिकायत होगी, आज फिर से...
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रविवार, 5 दिसंबर 2021

मज़बूत खुरदरे हाथ

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कुछ नाजुक मुलायम हाथ जिन्होंने पहनी है सोने की अंगूठियाँ वो कर रहे हैं राज, उन मज़बूत खुरदरे और मेहनतकश हाथों पर जिनके खून और पसीने से ...
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nilesh mathur
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