रविवार, 19 दिसंबर 2021

आवारा बादल


आवारा बादल हूँ
कभी यहॉं तो कभी वहाँ
भटकना तो
फितरत है मेरी,
बस इक छोटी सी चाहत है
बंज़र भूमि पर बरसने की।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें