शनिवार, 25 जनवरी 2014

महात्मा गांधी के नाम एक ख़त


पूज्य बापू
सादर प्रणामआपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना
हमें पूर्ण विश्वास है कि आप कुशलता से होंगे। हम सब भी यहाँ मजे में हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश और समाज की स्थिति से आपको अवगत करवाने के लिए मैंने ये ख़त लिखना अपना कर्तव्य समझा। कुछ बातों के लिए हम आपसे माफ़ी चाहते हैं जैसे कि आपके बताए सत्य और अहिंसा के सिद्धांत में हमने कुछ परिवर्तन कर दिए हैं, इसे हमने बदल कर असत्य और हिंसा कर दिया है, और इसमें हमारे गांधीवादी राजनीतिज्ञों का बहुत बड़ा योगदान रहा है, वो हमें समय समय पर दिशाबोध कराते रहते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते रहते हैं। इन्हीं के मार्गदर्शन में हम असत्य और हिंसा के मार्ग पर निरंतर अग्रसर हैं, बाकी सब ठीक है।
आपने हमें जो आज़ादी दिलवाई उसका हम भरपूर फायदा उठ रहे हैं। भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, बाकी सब ठीक है।
हर सरकारी विभाग में आपकी तस्वीर दीवारों पर टँगवा दी गयी है और सभी नोटों पर भी आपकी तस्वीर छपवा दी गयी है। इन्हीं नोटों का लेन-देन हम घूस के रूप में धड़ल्ले से कर रहे हैं, बाकी सब ठीक है। स्वराज्य मिलने के बाद भी भूखे नंगे आपको हर तरफ नज़र आएँगे, उनके लिए हम और हमारी सरकार कुछ भी नहीं कर रहे हैं, हमारी सरकार गरीबी मिटाने की जगह गरीबों को ही मिटाने की योजना बना रही है, बाकी सब ठीक है।
बापू हमें अफ़सोस है की खादी को हम आज तक नहीं अपना सके हैं, हम आज भी विदेशी वस्त्रों और विदेशी वस्तुओं को ही प्राथमिकता देते हैं, बाकी सब ठीक है।
अस्पृश्यता आज भी उसी तरह कायम है। जिन दलितों का आप उत्थान करना चाहते थे, उनकी आज भी कमोबेश वही स्थिति है, बाकी सब ठीक है।
बापू आजकल हम सत्याग्रह नहीं करते, हमने विरोध जताने के नए तरीके इजाद किये हैं। आज कल हम विरोध स्वरुप बंद का आयोजन करते हैं और उग्र प्रदर्शन करते हैं, जिसमें कि तोड़फोड़ और आगज़नी की जाती है, बाकी सब ठीक है।
जिस पाकिस्तान की भलाई के लिए आपने अनशन किये थे, वही पाकिस्तान आज हमें आँख दिखाता है, आधा काश्मीर तो उसने पहले ही हड़प लिया था, अब उसे पूरा कश्मीर चाहिए। आतंकियों की वो भरपूर मदद कर रहा है। हमारे देश में वो आतंक का नंगा नाच कर रहा है। आये दिन बम के धमाके हो रहे हैं और हजारों बेगुनाह फिजूल में अपनी जान गँवा रहे हैं, वो हमारे जवानों के सिर काट कर धड़ल्ले से ले जाता है बाकी सब ठीक है,
बांग्लादेश के साथ भी हम पूरी उदारता से पेश आ रहे हैं, वहां के नागरिकों को हमने अपने देश में आने और रहने की पूरी आज़ादी दे रखी है, करोड़ों की संख्या में वे लोग यहाँ आकर मजे में रह रहे हैं, और हमारे ही लोग उनकी वजह से भूखे मर रहे हैं, बाकी सब ठीक है।
बापू हम साम्प्रदायिक भाईचारा आज तक भी कायम नहीं कर पाए हैं। धर्म के नाम पर हम आये दिन खून बहाते हैं। आज हमारे देश में धर्म के नाम पर वोटों की राजनीति खूब चल रही है। साम्प्रदायिक हिंसा आज तक जारी है। बाकी सब ठीक है।
कसाब जैसे आतंकी की हमने खूब खातिरदारी की लेकिन अंत मे उसे फाँसी दे दी,
अफजल गुरु जैसे कुछ आतंकियों की हम अब भी खूब खातिरदारी कर रहे हैं बाकी सब ठीक है, आपके अहिंशा के सिद्धांत का अनुशरण करते हुए हमारे राष्ट्रपति बलात्कारियों और जघन्य अपराधियों की सजा भी माफ कर देते हैं बाकी सब ठीक है, हमे पूर्ण विश्वास है की दामिनी के बलात्कारियों का भी हमारे राजनेता बाल भी बांका होने नहीं देंगे, और हमारे देश मे ये सब इसी तरह चलता रहेगा, बाकी सब ठीक है,
बापू आज आप साक्षात यहाँ होते तो आपको खून के आंसू रोना पड़ता, बापू आपने नाहक ही इतना कष्ट सहा और हमें आज़ादी दिलवाई, हो सके तो हमें माफ़ करना।

आपका अपना-
एक गैर जिम्मेदार भारतीय नागरिक


3 टिप्‍पणियां:

  1. अनुज नीलेश!! कहाँ रहे इतने दिन हमको भूलकर...!!
    अब इस चिट्ठी का कोई अर्थ नहीं रहा.. हम तो इस इंतज़ार में हैं कि कल को कोई नेता उठकर ये न कह दे कि ये बापू कौन है भाई!!
    मार्मिक... सुन ले बापू ये पैग़ाम - मेरी चिट्ठी तेरे नाम!!

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  2. आज देश के जो हालात हैं, अगर बापू होते तो निःसंदेह खुदकुशी कर लेते. असत्य और हिंसा के बल पर आज हर एक व्यक्ति आज़ाद है, जिसे जो मर्जी करे. जिसकी लाठी उसकी भैंस. उम्दा लेखन के लिए बधाई.

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  3. ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ |

    जय हिन्द ... जय हिन्द की सेना ||

    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन गणतंत्र दिवस और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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