गुरुवार, 22 नवंबर 2012

क्षणिकाएँ



(1)
पिता जी ने कहा था
बेटा सत्य के मार्ग पर चलना
कुछ दूर तक मैं चला भी था
लेकिन फिसलन इतनी थी वहाँ
कि मेरे घुटने छिल गए।
(2)
माँ ने कहा था
बेटा कभी झूठ मत बोलना
लेकिन मैं
झूठ के पर्वत पर खड़ा हूँ आज।
(3)
एक दोस्त ने कहा था
कभी धोखा मत देना
लेकिन बहुत पुरानी बात हो चुकी है वो
और मुझे भूलने की बीमारी है।
(4)
किसी ने कहा था
जीवन मे बहुत सुख मिलेगा तुम्हें
दुखों के पहाड़ पर
खड़ा हूँ आज।




मंगलवार, 6 नवंबर 2012

पूर्णिमा का चाँद




मिनाक्षी के लिए कुछ पंक्तियाँ...... 

कभी तुम
पुर्णिमा के चाँद सी लगती हो  
और मैं
तुम्हारी शीतल चाँदनी मे बैठ
प्यार भरे गीत गुनगुनाता हूँ,
और कभी तुम  
भोर की पहली किरण बन जाती हो
और मैं
उन सुनहरी किरणों के सौन्दर्य से
मदहोश हो जाता हूँ,
सदियों तक
इसी तरह अपनी रोशनी बिखेरती रहो
मेरी इस धरा पर
और हर लम्हे को सितारों से सजाती रहो तुम....

जन्म दिन की हार्दिक शुभकामना.....