शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

ज्योति

जीवन में कुछ लोग मिलते है जिनसे मिलकर अपनेपन का अहसास होता है, और जीवन एक खूबसूरत मोड़ ले लेता है, श्री श्री रविशंकर जी के आशीर्वाद से मुझे ज्योति के रूप में एक छोटी बहन मिली है, ज्योति गुरु जी की विशेष कृपापात्र है और सेवा के लिए पूरी तरह से समर्पित है,  और ज्योति को बहन के रूप में पा कर मैं इतना खुश हूँ कि खुद को बहुत सौभाग्यशाली समझने लगा हूँ, मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वो हमेशा खुश रहे, और अब वो खुश रहे इसकी ज़िम्मेदारी मेरी भी है!
ज्योति के लिए कुछ पंक्तियाँ ....................


Jyoti
ज्योति हो तुम
और ज्योति ही 
अन्धकार को मिटाती है,


कभी कभी 
विपरीत हवाओं से
लड़ना भी होगा तुम्हे,


लेकिन तुम्हे अटल रहना है
और वो ज्योति बनना है
जिसे हवाएं तो क्या 
तूफ़ान भी बुझा ना सके,


तूफ़ान भी सहम कर
थम जाएगा तुम्हारे तेज से
हवाओ कि तो 
बिसात ही क्या,


तुम जगमगाती रहना
सदा यूँ ही
अँधेरे को मिटाती रहना
सदा यूँ ही
और मुस्कराती रहना 
सदा यूँ ही!



9 टिप्‍पणियां:

  1. चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व निखार हेतु आपके द्वारा किए जा रहा प्रयास सराहनीय है। इस हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
    सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी

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  2. बढ़िया रचना...मंगलकामनाएँ आप भाई बहन के लिए.

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  3. नीलेस भाई ..ज्योति त प्रतीक है प्रकास का, मार्गदर्सन का, भटके हुए को रास्ता दिखाने का... असली ज्योति त मन के अंदर होता है.. बाहर नहीं..इसलिए ई ज्योति न आँधी से बुझ सकेगा न हवा का झोंका से... हमरा भी स्नेह!!

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  4. ज्योति हो तुम
    और ज्योति ही
    अन्धकार को मिटाती है,

    मंगलकामनाएँ आप भाई बहन के लिए.

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  5. . ज्योति तो हमेशा ही प्रकाश और मार्गदर्शन का प्रतीक है, उसको बस सहेज कर रखना होता है आंधी और तूफान से बस एक ओट की जरूरत होती है. भाई बहन की इस रिश्ते को शुभकामनाएं

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  6. ये सम्बन्ध अमर रहे
    आप दोनों ज्योतियों से प्रकाशित हो
    मंगलकामनाएं

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