उनके शब्द बाण
मेरा ह्रदय भेद रहे थे
परन्तु मेरे मौन से
आतंकित हो
वो अपने तरकश को
कंधे से उतार कर
फेंक देने पर बाध्य हुए,
मेरे मौन कि शक्ति ने
उनके शब्द बाणों का
मानो अस्तित्व ही मिटा दिया,
तब मैंने जाना
मौन सदा शब्दों को
परास्त कर मुस्कुराता है
और शब्द
मौन के आगे नतमस्तक हो
शीश झुकाते हैं!
रविवार, 29 अगस्त 2010
सोमवार, 16 अगस्त 2010
रंग बिरंगे फूलों से लदी सड़क
श्री श्री के आशीर्वाद से जीवन में कुछ लोग मिले हैं जिनके सानिध्य और मार्गदर्शन से मेरे विचार और जीवन शैली में कुछ परिवर्तन सा आने लगा है, ज्योति का जिक्र तो मैं अपनी पिछली पोस्ट में कर चुका हूँ, आज मैं बात कर रहा हूँ आर्ट ऑफ़ लिविंग के शिक्षक परम आदरणीय श्री सुरेश स्वामी जी और श्री राणा दास की, ये दोनो ऐसे व्यक्ति हैं जिनके निस्वार्थ सेवा भाव से और उनके व्यक्तित्व से मैं बहुत प्रभावित हूँ, और मैं चाहता हूँ कि उनका स्नेह और मार्गदर्शन इसी तरह मुझे मिलता रहे, ये काव्य पंक्तियाँ उन्ही के लिए लिखी है और उन्हें ही समर्पित हैं.......
वो मिले थे मुझे
जीवन पथ पर
चलते हुए,
और थाम कर मेरा हाथ
उन्होंने मुझे
जीवन के उस मोड़ पर
पंहुचा दिया....
जहाँ से पीछे
कुछ नहीं दिखता
लेकिन आगे.....
रंग बिरंगे फूलों से लदी
सड़क दिखती है,
और मैं
उनके प्रेम और स्नेह से
अभिभूत हो
चल पड़ा हूँ
उसी फूलों से लदी सड़क पर,
और वो
चेहरे पर मुस्कान लिए
मुझे राह दिखाते
चल रहे हैं मेरे साथ !
श्री सुरेश स्वामी, मैं और श्री राणा दास |
जीवन पथ पर
चलते हुए,
और थाम कर मेरा हाथ
उन्होंने मुझे
जीवन के उस मोड़ पर
पंहुचा दिया....
जहाँ से पीछे
कुछ नहीं दिखता
लेकिन आगे.....
रंग बिरंगे फूलों से लदी
सड़क दिखती है,
और मैं
उनके प्रेम और स्नेह से
अभिभूत हो
चल पड़ा हूँ
उसी फूलों से लदी सड़क पर,
और वो
चेहरे पर मुस्कान लिए
मुझे राह दिखाते
चल रहे हैं मेरे साथ !
रविवार, 15 अगस्त 2010
महात्मा गाँधी को स्वाधीनता दिवस की बधाई
सादर प्रणाम, आशा ही नहीं हमें पूर्ण विश्वास है कि आप कुशलता से होंगे। हम सब भी यहाँ मजे में हैं। आज हम ६४ वां स्वतन्त्रता दिवस मानाने जा रहे हैं, आपको बहुत बहुत बधाई हो, इस पावन पर्व पर देश और समाज की स्थिति से आपको अवगत करवाने के लिए मैंने ये ख़त लिखना अपना कर्त्तव्य समझा। कुछ बातों के लिए हम आपसे माफ़ी चाहते हैं जैसे कि आपके बताए सत्य और अहिंसा के सिद्धांत में हमने कुछ परिवर्तन कर दिए हैं, इसे हमने बदल कर असत्य और हिंसा कर दिया है, और इसमें हमारे गांधीवादी राजनीतिज्ञों का बहुत बड़ा योगदान रहा है, वो हमें समय समय पर दिशाबोध कराते रहते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते रहते हैं। इन्हीं के मार्गदर्शन में हम असत्य और हिंसा के मार्ग पर निरंतर अग्रसर हैं, बाकी सब ठीक है।
आपने हमें जो आज़ादी दिलवाई उसका हम भरपूर फायदा उठ रहे हैं। भ्रस्टाचार अपने चरम पर है, बाकी सब ठीक है।
हर सरकारी विभाग में आपकी तस्वीर दीवारों पर टँगवा दी गयी है और सभी नोटों पर भी आपकी तस्वीर छपवा दी गयी है। इन्हीं नोटों का लेना-देना हम घूस के रूप में धड़ल्ले से कर रहे हैं, बाकी सब ठीक है। स्वराज्य मिलने के बाद भी भूखे नंगे आपको हर तरफ नज़र आएँगे, उनके लिए हम और हमारी सरकार कुछ भी नहीं कर रहे हैं, हमारी सरकार गरीबी मिटाने की जगह गरीबों को ही मिटाने की योजना बना रही है, बाकी सब ठीक है।
बापू हमें अफ़सोस है की खादी को हम आज तक नहीं अपना सके हैं, हम आज भी विदेशी वस्त्रों और विदेशी वस्तुओं को ही प्राथमिकता देते हैं, बाकी सब ठीक है।
अस्पृश्यता आज भी उसी तरह कायम है। जिन दलितों का आप उत्थान करना चाहते थे, उनकी आज भी कमोबेश वही स्थिति है, बाकी सब ठीक है।
बापू आजकल हम सत्याग्रह नहीं करते, हमने विरोध जताने के नए तरीके इजाद किये हैं। आज कल हम विरोध स्वरुप बंद का आयोजन करते हैं और उग्र प्रदर्शन करते हैं, जिसमें कि तोड़फोड़ और आगज़नी की जाती है, बाकी सब ठीक है।
जिस पाकिस्तान की भलाई के लिए आपने अनशन किये थे, वही पाकिस्तान आज हमें आँख दिखाता है, आधा काश्मीर तो उसने पहले ही हड़प लिया था, अब उसे पूरा काश्मीर चाहिए। आतंकियों की वो भरपूर मदद कर रहा है। हमारे देश में वो आतंक का नंगा नाच कर रहा है। आये दिन बम के धमाके हो रहे हैं और हजारों बेगुनाह फिजूल में अपनी जान गँवा रहे हैं, बाकी सब ठीक है।
बांग्लादेश के साथ भी हम पूरी उदारता से पेश आ रहे हैं, वहां के नागरिकों को हमने अपने देश में आने और रहने की पूरी आज़ादी दे रखी है, करोड़ों की संख्या में वे लोग यहाँ आकर मजे में रह रहे हैं, और हमारे ही लोग उनकी वजह से भूखे मर रहे हैं, बाकी सब ठीक है।
बापू हम साम्प्रदायिक भाईचारा आज तक भी कायम नहीं कर पाए हैं। धर्म के नाम पर हम आये दिन खून बहाते हैं। आज हमारे देश में धर्म के नाम पर वोटों की राजनीति खूब चल रही है। साम्प्रदायिक हिंसा आज तक जारी है। बाकी सब ठीक है।
बापू आज आप साक्षात यहाँ होते तो आपको खून के आंसू रोना पड़ता, बापू आपने नाहक ही इतना कष्ट सहा और हमें आज़ादी दिलवाई, हो सके तो हमें माफ़ करना।
आपका अपना-
एक गैर जिम्मेदार भारतीय नागरिक
शुक्रवार, 13 अगस्त 2010
ज्योति
जीवन में कुछ लोग मिलते है जिनसे मिलकर अपनेपन का अहसास होता है, और जीवन एक खूबसूरत मोड़ ले लेता है, श्री श्री रविशंकर जी के आशीर्वाद से मुझे ज्योति के रूप में एक छोटी बहन मिली है, ज्योति गुरु जी की विशेष कृपापात्र है और सेवा के लिए पूरी तरह से समर्पित है, और ज्योति को बहन के रूप में पा कर मैं इतना खुश हूँ कि खुद को बहुत सौभाग्यशाली समझने लगा हूँ, मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वो हमेशा खुश रहे, और अब वो खुश रहे इसकी ज़िम्मेदारी मेरी भी है!
ज्योति के लिए कुछ पंक्तियाँ ....................
ज्योति हो तुम
और ज्योति ही
अन्धकार को मिटाती है,
कभी कभी
विपरीत हवाओं से
लड़ना भी होगा तुम्हे,
लेकिन तुम्हे अटल रहना है
और वो ज्योति बनना है
जिसे हवाएं तो क्या
तूफ़ान भी बुझा ना सके,
तूफ़ान भी सहम कर
थम जाएगा तुम्हारे तेज से
हवाओ कि तो
बिसात ही क्या,
तुम जगमगाती रहना
सदा यूँ ही
अँधेरे को मिटाती रहना
सदा यूँ ही
और मुस्कराती रहना
सदा यूँ ही!
ज्योति के लिए कुछ पंक्तियाँ ....................
Jyoti |
और ज्योति ही
अन्धकार को मिटाती है,
कभी कभी
विपरीत हवाओं से
लड़ना भी होगा तुम्हे,
लेकिन तुम्हे अटल रहना है
और वो ज्योति बनना है
जिसे हवाएं तो क्या
तूफ़ान भी बुझा ना सके,
तूफ़ान भी सहम कर
थम जाएगा तुम्हारे तेज से
हवाओ कि तो
बिसात ही क्या,
तुम जगमगाती रहना
सदा यूँ ही
अँधेरे को मिटाती रहना
सदा यूँ ही
और मुस्कराती रहना
सदा यूँ ही!
शनिवार, 7 अगस्त 2010
श्री श्री के चरणों में समर्पित
रविवार, 1 अगस्त 2010
जिन्ना को उनका पकिस्तान मिला नेहरु को हिन्दुस्तान
क्या नहीं सोचा था
नेहरु और जिन्ना ने
कि ये कीमत चुकानी होगी
आज़ादी और विभाजन की,
नालियों में बह रहा
बेकसूरों का रक्त था
और वो बेकसूर नहीं जानते थे
कि सरहद किसे कहते हैं
और आज़ादी क्या है,
वो नहीं जानते थे
नेहरु और जिन्ना को,
वो तो मार दिए गए
हिन्दू और मुसलमान होने के
अपराध में,
मरने से पहले देखे थे उन्होंने
अपनी औरतों के स्तन कटते हुए
अपने जिंदा बच्चों को
गोस्त कि तरह आग में पकते हुए,
दुधमुहे बच्चे
अपनी मरी हुई माँ की
कटी हुई छातियों से बहते रक्त को
सहमे हुए देख रहे थे
और उसकी बाहों को
इस उम्मीद में खींच रहे थे
कि बस अब वो उसे गोद में उठा लेगी,
माएँ अपनी जवान बेटियों के
गले घोट रही थी
उन्हें बलात्कार से बचाने के लिए,
बेरहमी कि हदों को तोड़कर
इंसानियत को रौंदा गया,
पर एक सवाल आज भी
अपनी जगह कायम है
कि इस भीषण त्रासदी का
ज़िम्मेदार कौन???
जिन्ना को
उनका पाकिस्तान मिला
नेहरु को
हिन्दुस्तान,
परन्तु बाकी बचे
चालीस करोड़ लोगों को
क्या मिला???
टुकड़ों में बंटा
लहुलुहान हिन्दुस्तान!!!