शनिवार, 17 अक्टूबर 2009

मेरी पहली कविता

झरोखे से देख रह हूँ 

मेरे जीवन में 

खुशियों कि बहार आ रही है 

असमंजस में है मन 

कि द्वार खोल स्वागत करूँ 

या लौटा दूँ इसे 

हवाओं का रुख ले आया है जिसे 

गलती से मेरी जिंदगी में!

8 टिप्‍पणियां:

  1. स्वागत है आपका ब्लॉगजगत में.

    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    सादर

    -समीर लाल 'समीर'

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  2. वाह !

    बहुत ख़ूब लिखा


    आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की

    हार्दिक बधाइयां

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  3. चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है, दिपावली हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  4. आप सौभाग्यशाली मित्रों का स्वागत करते हुए मैं बहुत ही गौरवान्वित हूँ कि आपने ब्लॉग जगत में दीपावली के दिन पदार्पण किया है. आप ब्लॉग जगत को अपने सार्थक लेखन कार्य से आलोकित करेंगे. इसी आशा के साथ आपको दीप पर्व की बधाई.
    ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं, लेखन कार्य के लिए बधाई

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  5. आज बस राम-राम। दोस्त को भी और उनको भी जो मुझे अपना दुश्मन समझतें हैं या वो मेरे दुश्मन है। राम राम अपनों को भी,परायों को भी। अच्छे को भी, बुरे को भी।
    इस धरा पर रहने वाले सभी जीवों को, जड़ को, चेतन को, अवचेतन को दिवाली की राम-राम।

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  6. aagaz to achha hai anjam khuda janey.hawaon ka rukh kabhi galat nahin hota. jo aa raha/rahi.. hai uska swagat kariye shriman dil khol kar.
    with best wishes.

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  7. हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं...........
    इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूं..

    http://samwaadghar.blogspot.com

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  8. too gud.... असमंजस में है मन कि द्वार खोल स्वागत करूँ
    या लौटा दूँ इसे हवाओं का रुख ले आया है जिसे गलती से मेरी जिंदगी में!"

    bahut kuch keh gaye yeh shabd... samvedansheel rachnaa....

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