रविवार, 23 अक्टूबर 2011

एक आवाज़ "जगजीत सिंह"




वो आवाज़ 
जो ले जाती थी हमें 
भावनाओं के दरिया मे 
और देती थी साथ 
तन्हाइयों मे,


वो आवाज़ 
जो ले जाती थी 
बचपन मे 
और रिश्तों का अर्थ 
समझाती थी,


वो आवाज़ 
जो बंद कमरे मे 
बत्तियाँ बुझाकर 
सुना करता था मैं,


वो आवाज़ 
जो एक दिल की 
गहराइयों से निकलकर 
मेरे दिल की गहराइयों मे 
उतर जाती थी,


सचमुच 
बहुत सुकून देती थी 
वो आवाज़
जगजीत सिंह की आवाज़,


आज कुछ खामोश है मगर 
वो आवाज़ 
यूँ ही गूँजती रहेगी 
वादियों मे सदियों तक।   

7 टिप्‍पणियां:

  1. aapne bilkul mere dil ki baat likhi hai.us ghazal ke baadshah ki jagah koi nahi bhar sakta.

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  2. आपकी दिल की आवाजमें हमारी भी आवाज़ शामिल है.बहुत सुन्दर लिखा है उस गज़ल सम्राट की कमी कभी नहीं पूरी हो सकती.

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  3. बिलकुल सही कहा है आपने. इंसान मिट जाते है पर आवाजें कभी नही मिटती.

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  4. बिल्‍कुल सही ..
    .. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!

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  5. आज कुछ खामोश है मगर
    वो आवाज
    यूँ ही गूँजती रहेगी
    वादियों मे सदियों तक।

    जगजीत सिंह संगीत प्रेमियों के दिलों में सदैव जीवित रहेंगे।

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. आज कुछ खामोश है मगर
    वो आवाज़
    यूँ ही गूँजती रहेगी
    वादियों मे सदियों तक।
    यकीनन गूँजती रहेगी

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  7. आज कुछ खामोश है मगर
    वो आवाज़
    यूँ ही गूँजती रहेगी
    वादियों मे सदियों तक। यकीनन।

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