रविवार, 27 फ़रवरी 2011

तन्हाई

तन्हाई......... 
अंतर को चीरता हुआ
निशब्द 
घोर सन्नाटा, 

तन और मन को 
जैसे 
बर्फ की सफ़ेद चादर ने 
ढक लिया हो ,

ठिठुरते हुए विचार 
झांकते हैं 
हटा कर
बर्फ की चादर,

और करते हैं 
इंतज़ार
धूप के निकलने का, 

जब सूर्य की 
पहली किरण 
के साथ 
कोई आएगा 
और इस तन्हाई को 
दूर करेगा ,

तब फिर से
तन और मन
धूप में बैठ कर 
गुनगुनाएँगे
और ज़श्न मनाएंगे!



22 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया,
    आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

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  2. बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.

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  3. कोई आएगा
    और इस तन्हाई को
    दूर करेगा ,

    तब फिर से
    तन और मन
    धूप में बैठ कर
    गुनगुनाएँगे
    और ज़श्न मनाएंगे!

    अशा ही जीवन है। शुभकामनायें।

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  4. ठिठुरते हुए विचार
    झांकते हैं
    हटा कर
    बर्फ की चादर,
    aur dekhte hain suraj aaya ki nahin ... bahut khoob

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  5. वाह ……………क्या बात है सकारात्मक सोच का परिचायक्।

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  6. जब ठिठुरते हुए विचार भी नहीं रहेंगे आने वाला तभी आयेगा जब तक विचार है निशब्द कहाँ और जब तक सन्नाटा पूर्ण नहीं वह नहीं आता !

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  7. ठिठुरते हुए विचार
    झांकते हैं
    हटा कर
    बर्फ की चादर
    और करते हैं
    इंतज़ार
    धूप के निकलने का

    कविता के प्रतीक बिल्कुल नए हैं जो कविता की सम्प्रेषणीयता में वृद्धि कर रहे हैं।
    इस उत्तम रचना के लिए बधाई।

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  8. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  9. बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना..

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  10. जब सूर्य की
    पहली किरण
    के साथ
    कोई आएगा
    और इस तन्हाई को
    दूर करेगा ,....

    सुन्दर और भावपूर्ण पंक्तियां ...... बधाई।

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  11. ठिठुरते हुए विचार
    झांकते हैं
    हटा कर
    बर्फ की चादर......

    वाह..क्या खूब ...

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  12. सुन्दर और भावपूर्ण पंक्तियां ...... बधाई।

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  13. कल 13/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  14. भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  15. बहुत ही गहनाभिब्यक्ति के साथ लिखी शानदार रचना बधाई आपको /



    please visit my blog
    www.prernaargal.blogspot.com

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  16. बहुत गहन भाव और प्रस्तुति
    आशा

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  17. तन और मन
    धूप में बैठ कर
    गुनगुनाएँगे
    और ज़श्न मनाएंगे!

    सुन्दर ख़याल...
    सादर..

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