रविवार, 10 मई 2015

माँ



ऐ मेरे खुदा 
माँ के बालों की सफेदी मुझे अच्छी नहीं लगती
उसके चेहरे की झुर्रियाँ मिटा दे
उसका हर ग़म दे दे मुझे 
उसके चेहरे पे मुस्कुराहट सजा दे,
उसी की दुआओं का असर है 
कि गिर गिर के सम्हल जाता हूँ हर बार
जानता हूँ हर वक़्त मेरी फिक्र रहती है उसे,
ऐ मेरे ख़ुदा 
अपनी हर तकलीफ छुपाती है वो 
ज़रूरत होने पर भी कुछ नहीं मांगती 
मुझे बस इतना दे दे 
कि उसकी हर अधूरी खवाहिश को पूरा कर दूँ,
ताउम्र दूर रखा तूने मुझे 
अब जल्द मेरी माँ से मिला दे मुझे। 

सोमवार, 4 मई 2015

मैं मोहताज नहीं तुम्हारा...




हाँ मजदूर हूँ मैं 
हाँ हाँ मजदूर हूँ मैं,
ढाओ सितम 
जितना सामर्थ्य हैं तुममे 
झुका सको जो मेरी पीठ 
इतना सामर्थ्य नहीं तुममे,
हाँ मैं मजदूर हूँ 
हाँ हाँ मजदूर हूँ मैं  
तुम देखो 
मेरे पसीने की हर बूंद 
है तुम्हारी तिजोरी मे,
वक़्त नहीं शायद 
तुम्हारे पास मेरे लिए 
पर याद रखना 
मैं भी मोहताज नहीं तुम्हारा,
तुम जानते हो 
कि तुम्हारा कोई वजूद नहीं मेरे बिना.....
फिर भी आंखे बंद रखते हो,
कभी अगर जाग जाये 
ज़मीर तुम्हारा 
तो अदा कर देना 
हक़ हमारा.....  




शुक्रवार, 1 मई 2015

मजदूर



बरसती हुई आग में 
अपने वज़न से ज्यादा भार 
पीठ पर लादकर 
मुस्कुराता है वो,
अपने हाथों के छाले 
घरवालों से छुपाता है वो,
बच्चों के साथ 
हँसता है खिलखिलाता है वो,
वो मौजूद है हर तरफ
हमारे इस तरफ हमारे उस तरफ,
लेकिन क्या उसका हक़ 
अदा करते हैं हम??