शुक्रवार, 2 मार्च 2012

कलाकार

अनजान था
दोस्ती से
प्रेम से
अपनत्व से
रिश्तों से
और दुनियादारी से,
अनजान था 
खुद अपने आप से
और अपनों से
दोस्तों से
दुश्मनों से,
अनजान था 
मैं अपनी सोच के स्तर से 
रिश्तों की डोर से
भावनाओं के जोर से
समाज के उसूलों से,
लेकिन अब....
सीख गया हूँ
मैं भी
दुनियादारी,
किस तरह
पीठ में खंजर
भोंकना है,
या किसी की
भावनाओं से खेलना है,
अब मैं भी
रंगमंच का
एक कुशल कलाकार 
बन चुका हूँ!