शनिवार, 7 नवंबर 2009

आस्था

कुछ लोग मुसीबत में पड़ने पर ही ईश्वर को याद करते हैं उनके लिए ....

जब हताश हो उठता है मन
तो बेजान पत्थरों में
नज़र आती है उम्मीद कि किरण
और फिर पूजने लगते हैं
पत्थरों को देवता बनाकर!

1 टिप्पणी:

  1. "जब हताश हो उठता है मन
    तो बेजान पत्थरों में
    नज़र आती है उम्मीद कि किरण
    और फिर पूजने लगते हैं
    पत्थरों को देवता बनाकर! "

    sach..... aastha shayad niraasha ki paraakastha hi hai.... jab cheezein humare haath mein nahin dikhti tab hum use bhagwaan/ishwar/khudaa par daal dete hain.....

    gaagar mein saagar si aapki yeh kriti....

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NILESH MATHUR

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